बसंतीचे मत


आनंदाची गोष्ट अशी, की आपल्या ह्या महिला दिनानिमित्त ठेवलेल्या लेखस्पर्धेची माहिती पार तिकडे रायबरेलीतही जाऊन पोचली. आणि आपल्या 'शोले' तील 'बसंती'लाही आपले मत नोंदवावेसे वाटले. मात्र अर्थातच तिने आपले मत राष्ट्रभाषेत नोंदवले.

क्यूँ कि हमसे ये पूछा गया की बसंती, तुम्हारे ऊपर किस बड़ी महिला का प्रभाव है? तो हमने सोचना शुरू कर दिया। वैसे हमें जादा सोचने की आदत तो है नहीं। लेकिन आपने पूछ लिया तो हम बता ही देते है।

देखनेवाली बात यह है की हमारे ऊपर हमारी माँ का प्रभाव नहीं है। और सास का प्रभाव हमने होने नहीं दिया। क्योंकि घोड़ा अगर घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?

वैसे तो हम रायबरेली के रहनेवाले है और प्रियांकाजी भी रायबरेली से बड़ा ताल्लुक़ रखती है। जब हम ताँगा लेकर रोड पे से गुज़र रहे थे तब प्रियांकाजी का पहला रोड शो हो रहा था। उन्होंने जीप में से खड़े होकर अपना हाथ हिलाया और हमारी तरफ़ मुस्कुरा दिया। आप तो यही पूछेंगे ना की क्या हमपर प्रियांकाजी का प्रभाव है? हाँ हाँ पूछो पूछो , हम कहा मना कर रहे है?
देखनेवाली बात यह है की प्रियांकाजी एक लड़की है और हम भी एक लड़की है। लोग हमसे ये भी पूछते है की क्या प्रियांकाजी देश चला पाएगी? इसका जवाब हम ये देते है की अगर लड़की होकर हम ताँगा चला सकते है तो लड़की होकर वो देश क्यूँ नहीं चला सकती?

आपने हमसे ये नहीं पूछा की हमारे ऊपर उनका प्रभाव क्यू है? आप पूछेंगे नहीं तो हम बताएँगे कैसे? वह यू क्यों कि वो गांधी नेहरू परिवार से है। अपने दादी पे गयी है। पुरे देश के कैमरे लगने पर भी उनकी फ़ोटो अच्छी ही आती है।

वैसे तो हमें फ़िज़ूल की बातें करना पसंद नहीं लेकिन सुना है की वो अपने पतीदेव वडराजी का साथ भलेबुरे वक़्त में अच्छी तरह देती है।
तो यू समझ लो की हमारे जीवन में कुछ फ़र्क़ पड़े या ना पड़े , भारत की बहुत सारी महिलाओं की तरह हम भी उनसे प्रभावित हैं।

नेहा भदे


1 comment:

  1. बहुत अच्छे, बसंतीजी! कहीं आप प्रियांकाजी के भय्याजी से भी प्रभावित तो नहीं? :)

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