ए चाँद माना आज तेरे मेरे जुदाई की रात है
जरा देर से सही, पर मेरी निश्चित तुझसे मुलाकात है |
चाहे बिछा राह में, तू तपती रेत मुश्किलों की
होती मुझ पर भी, लाखों दुवाओं की बरसात है |
माना मशहूर हैं, तेरी खूबसूरती दुनिया जहाँ में
फिर भी है तू अकेला और साथ मेरे पूरी
कायनात है |
ना समझ की होगी कभी भी कम उड़ान मेरे
हौसले की
अंदर मेरे जो है सुलगती, वो हर हिन्दुस्तानी की सांस है |
देख ले तेरी गली में जरा सा रास्ता
क्या भटक गए हम
हमें संवारने आए भारत मां के करोड़ों
हाथ है |
प्रेरणा चौक
Vaa aapratim
ReplyDeleteThank you Swapna
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