दोस्ती के नाम




ऐ खुदा,शायद तेरी चौखट
पर जन्मों से इंतजार किया है
जो खुद से भी बढ़कर दोस्तों ने हमें प्यार दिया है


कभी जो खली अपनों की कमी
कभी जो उतरीं आँखों में नमी
दोस्तों ने अपने इष्क से सराबोर किया है

ना कभी की वफाओं से हरकत
ना कभी रखा उम्मीदों का बोझ
जब भी मिले सिर्फ खुशियों का दीदार हुआ है


जो ठहराए गये मुजरिम हम
अपनों के ही अंजुमन में
वो दोस्त ही थे जनाब जिन्होंने ऐतबार किया है

जो बैठें कभी यादों के संग
गहराये कभी जो अतित के रंग
अपने आप का बस दोस्तोंपर इख्तियार पाया है



अब इससे ज्यादा कैसे करू
इजहार ए मोहब्बत दोस्तों
के रब का मतलब तुमने समझाया है


प्रेरणा चौक




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